हमारे शास्त्रों में गौ की अनंत महिमा लिखी है। उनके दूध, दही़, मक्खन, घी, छाछ, मूत्र आदि से अनेक रोग दूर होते हैं। गौमूत्र एक महौषधि है। इसमें पोटैशियम, मैग्नीशियम क्लोराइड, फॉस्फेट, अमोनिया, कैरोटिन, स्वर्ण क्षार आदि पोषक तत्व विद्यमान रहते हैं इसलिए इसे औषधीय गुणों की दृष्टि से महौषधि माना गया है।
आइये जानते है गौ मूत्र के उपयोग से होने वाले फायदे :-
आयुर्वेद के अनुसार, शरीर में तीनों दोषों की गड़बड़ी की वजह से बीमारियां फैलती हैं, लेकिन गौमूत्र पीने से बीमारियां दूर हो जाती हैं।
- गौमूत्र दर्दनिवारक, पेट के रोग, स्किन प्रॉब्लम , श्वास रोग (दमा), आंतों से जुड़ी बीमारियां, पीलिया, आंखों से संबंधित बीमारियां, अतिसार (दस्त) आदि के उपचार के लिये प्रयोग किया जाता है।
- गौमूत्र पीने से दिमाग और दिल दोनों को ही ताकत मिलती है और उन्हें किसी भी किस्म की कोई बीमारी नहीं होती।
- शारीरिक कमजोरी और मोटापा दूर करने के लिए भी गौमूत्र का सेवन लाभकारी होता है।
- शरीर में पाए जाने वाले विभिन्न विषैले पदार्थों को बाहर निकालने के लिए गौमूत्र पीना बहुत लाभदायक है।
आयुर्वेद में देसी गोमूत्र अर्क को एक दिव्य औषधि माना गया है। इसका उपयोग प्राचीन काल से ही रोगों को दूर करने के लिए किया जा रहा है। गोमूत्र से बने अर्क को अगर सुबह-शाम दवा के रूप में लिया जाए तो त्वचा के रोग, नेत्र रोग, महिलाओं के रोग, किडनी रोग, हृदय रोग, कब्ज आदि जैसी बीमारियां को दूर करने में सहायता करता है।
आयुर्वेद के अनुसार देसी गाय का गौमूत्र अर्क एक संजीवनी है। गौमूत्र अर्क एक अमृत के समान है जो दीर्घ जीवन प्रदान करता है, पुनर्जीवन देता है, रोगों को दूर रखता है, रोग प्रतिकारक शक्ति एवं शरीर की माँसपेशियों को मज़बूत करता है।
शास्त्रों में हमारे ऋषियों-महर्षियों ने गौ की अनंत महिमा लिखी है। उनके दूध, दही़, मक्खन, घी, छाछ, मूत्र आदि से अनेक रोग दूर होते हैं। गोमूत्र एक महौषधि है। इसमें पोटैशियम, मैग्नीशियम क्लोराइड, फॉस्फेट, अमोनिया, कैरोटिन, स्वर्ण क्षार आदि पोषक तत्व विद्यमान रहते हैं इसलिए इसे औषधीय गुणों की दृष्टि से महौषधि माना जाता है। आये जानते गोमूत्र अर्क के लाभ
भट्ठी पर एक बड़ा मटका गौमूत्र से भरकर रख दिया जाता है। भट्ठी के ताप से गर्म होते गौमूत्र को वाष्प के रूप में बाहर निकालने के लिए मटके में एक ओर छोटा सा सुराग निकालकर पाइप के माध्यम से एक बर्तन में छोड़ दिया जाता है। यह एक-एक बूंद बर्तन में जमा होती रहती है जिसे गौमूत्र अर्क कहा जाता है। सात लीटर गाय के मूत्र में लगभग एक लीटर के आसपास अर्क निकलता है। इसे बोतलों में डालकर बेचा जाता है।
जोड़ों के दर्द दूर करने में सहायता करता है
जोड़ों में दर्द होने पर गोमूत्र का अर्क का प्रयोग दो तरीकों से किया जा सकता है। इनमें से पहला तरीका है, दर्द वाले स्थान पर गोमूत्र से शिकाई करें और सर्दी में जोड़ों का दर्द होने पर 1 ग्राम सोंठ के चूर्ण के साथ गोमूत्र का सेवन करें।
मोटापा कम करता है
गोमूत्र के माध्यम से आप मोटापे पर आसानी से नियंत्रण पा सकते हैं। आधे गिलास ताजे जल में 4 चम्मच गोमूत्र अर्क, 2 चम्मच शहद तथा 1 चम्मच नींबू का रस मिलाकर नित्य सेवन करें।
दंत-रोग में है लाभप्रद
दांत दर्द एवं पायरिया में गोमूत्र से कुल्ला करने से लाभ होता है। इसके अलावा पुराना जुकाम, नजला, श्वास- गोमूत्र अर्क एक चौथाई चम्मच फूली हुई फिटकरी मिलाकर सेवन करने से लाभ होता है।
हृदयरोग में है लाभकारी
चार चम्मच गोमूत्र का सुबह-शाम सेवन करना हृदय रोगियों के लिए लाभकारी होता है। इसके साथ ही मधुमेह रोगियों के लिए भी यह लाभकारी है। मधुमेह के रोगियों के लिए गोमूत्र अर्क प्रतिदिन डेढ़ तोला सेवन करना लाभप्रद होता है।
पीलिया में है लाभदायक
पीलिया होने पर 200-250 मिली गोमूत्र अर्क 15 दिन तक सेवन करे, व उच्च रक्तचाप होने पर एक चौथाई प्याले गौमूत्र अर्क में एक चौथाई चम्मच फूली हुई फिटकरी डालकर सेवन करें और दमा के रोगी को छोटी बछड़ी का 1 तोला गोमूत्र अर्क नियमित पीना लाभकारी होता है।
यकृत, प्लीहा बढ़ना
गौमूत्र अर्क में 1 चुटकी नमक मिलाकर पिएं या पुनर्नवा के क्वाथ को समान भाग गौमूत्र अर्क मिलाकर लें। आप यह भी कर सकते हैं कि गर्म ईंट पर उससे गौमूत्र में कपड़ा भिगोकर लपेटें तथा प्रभावित स्थान पर हल्की-हल्की सिंकाई करने से लाभ होता है।
कब्ज या पेट फूलने की समस्या दूर करता है
गौमूत्र अर्क उसमें आधा चम्मच नमक मिलाकर पिलाएं। बच्चे का पेट फूल जाए तो 1 चम्मच गौमूत्र अर्क पिलाएं। और गैस की समस्या में प्रात:काल आधे कप गौमूत्र अर्क में नमक तथा नींबू का रस मिलाकर पिलाएं या फिर पुराने गैस के रोग के लिए गौमूत्र को पकाकर प्राप्त किया गया क्षार भी गुणकारी होता है।
गले का कैंसर में है लाभदायक
100 मिली गौमूत्र अर्क तथा सुपारी के बराबर गाय का गोबर दोनों को मिलाकर स्वच्छ बर्तन में छान लें। सुबह नित्य कर्म से निवृत्त होकर निराहार 6 माह तक प्रयोग करने से लाभदायक परिणाम मिलता है।
चर्मरोग में है लाभदायक
नीम गिलोय क्वाथ के साथ सुबह-शाम गौमूत्र का अर्क सेवन करने से रक्तदोषजन्य चर्मरोग नष्ट हो जाता है। इसके अतरिक्त चर्मरोग पर जीरे को महीन पीसकर गौमूत्र अर्क मिलाकर लेप करना भी लाभकारी है।
पेट के कृमि को दूर करता है।
आधा चम्मच अजवाइन के चूर्ण के साथ 4 चम्मच गोमूत्र अर्क एक सप्ताह सेवन करने से पेट की कृमि मर जाते हैं। और कब्ज की समस्या होने पर हरड़ के चूर्ण के साथ गोमूत्र अर्क सेवन करने से कब्ज दूर हो जाता हैं।
गौमूत्र अर्क सेवन में कुछ सावधानियां रखना भी बहुत आवश्यक है। देशी गाय का गौमूत्र अर्क ही सेवन करना चाहिए । गाय गर्भवती या रोगी न हो इसका विशेष ध्यान रखना आवश्यक है और आयुर्वेद चिकित्सक के परामर्श अनुसार ही इसका सेवन करना चाहिए ।