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नैतिक शिक्षा (व्यक्तिगत विकास का आधार) Paper Back Book
Naitik Shiksha (Vyaktigat Vikaas Ka Aadhaar) Paperback Book (Hard Copy)
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vaidik sanatan dharma shanka samadhan book
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नैतिक शिक्षा का महत्व

नैतिक शिक्षा केवल एक विषय नहीं है; यह जीवन का आधार है। यह हमें जीवन के सही और गलत का अंतर समझाने में सहायता करती है और एक आदर्श व्यक्ति बनने के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करती है।

1. व्यक्तित्व विकास का आधार

नैतिक शिक्षा हमें अनुशासन, सहिष्णुता, और ईमानदारी जैसे गुणों को विकसित करने में सहायता करती है। यह हमारे आत्मविश्वास को बढ़ाकर हमें एक जिम्मेदार और सशक्त नागरिक बनाती है।

2. परिवार और समाज में सामंजस्य

नैतिक मूल्यों से सुसज्जित व्यक्ति अपने परिवार और समाज के लिए आदर्श बनता है। सत्य, अहिंसा, और सेवा जैसे गुण एक शांतिपूर्ण और सुखद समाज के निर्माण में सहायक होते हैं।

3. बच्चों के भविष्य की नींव

बच्चों के नैतिक विकास पर विशेष ध्यान देना आवश्यक है। बाल्यकाल में सिखाए गए नैतिक मूल्य उन्हें जीवनभर सही मार्ग पर चलने में सहायता करते हैं।

4. तनावमुक्त जीवन की कुंजी

नैतिक शिक्षा हमें जीवन की कठिनाइयों को स्वीकारने और उनसे निपटने का दृष्टिकोण प्रदान करती है। यह हमें सिखाती है कि सच्चाई और कर्म का मार्ग ही सबसे श्रेष्ठ है।

5. आध्यात्मिक उन्नति का आधार

नैतिक शिक्षा व्यक्ति को आत्मा की शुद्धता और परमात्मा की निकटता का अनुभव कराती है। यह व्यक्ति के जीवन में शांति और स्थिरता लाती है।


Key Highlights:

आप इस पुस्तक से क्या सीख सकते हैं?

  1. रामायण की शिक्षाएं
    • मर्यादा, कर्तव्य और आदर्श जीवन का मार्ग।
    • भगवान श्रीराम और माता सीता से प्रेरक जीवन-संदेश।
  2. महाभारत के जीवन सिद्धांत
    • धर्म, कर्म और न्याय के गहरे अर्थ।
    • द्रौपदी, भीष्म और अर्जुन जैसे पात्रों से प्रेरक शिक्षा।
  3. भगवद गीता के शाश्वत उपदेश
    • जीवन के प्रति निष्काम कर्म का दृष्टिकोण।
    • आत्मा, जीवन और मृत्यु का गहन ज्ञान।
  4. उपनिषदों की गूढ़ शिक्षा
    • आत्मा और परमात्मा के अद्वैत सिद्धांत।
    • जीवन की गहराई को समझने के लिए आध्यात्मिक दृष्टि।

पुस्तक की विशेषताएं

  • सरल भाषा में गहन ज्ञान: सरल हिंदी में लिखी यह पुस्तक हर आयु वर्ग के लिए समझने में आसान है।
  • प्राचीन शास्त्रों का आधुनिक संदर्भ: शास्त्रों की शिक्षाओं को आज की जीवनशैली से जोड़ा गया है।
  • बाल्यकाल से युवावस्था तक सभी के लिए उपयोगी: 8 से 15 वर्ष के बच्चों और उनके अभिभावकों के लिए आदर्श।
  • प्रेरक कहानियां और श्लोक: प्रत्येक अध्याय प्रेरक कहानियों और संस्कृत श्लोकों से सुसज्जित है।

 Frequently Asked Questions (FAQs) 

    1. यह पुस्तक किसके लिए है?
यह पुस्तक उन सभी के लिए है जो सनातन धर्म को गहराई से समझना चाहते हैं – चाहे आप धार्मिक हों या जिज्ञासु, यह पुस्तक हर किसी के लिए उपयुक्त है।

    2. क्या इस पुस्तक में केवल शास्त्र प्रमाण हैं?
इस पुस्तक में शास्त्र प्रमाण के साथ-साथ तर्क और वैज्ञानिक दृष्टिकोण भी प्रस्तुत किए गए हैं, ताकि सनातन धर्म की समझ पूरी तरह से प्रमाणिक और तर्कसंगत हो।

    3. क्या पुस्तक की सामग्री को सरल भाषा में प्रस्तुत किया गया है?
हाँ, पुस्तक की भाषा सरल और स्पष्ट है ताकि हर पाठक इसे आसानी से समझ सके।


नैतिक शिक्षा के बिना जीवन अधूरा है

आज की भागदौड़ भरी और प्रतिस्पर्धात्मक दुनिया में नैतिक शिक्षा का महत्व और भी बढ़ गया है। यह हमें केवल व्यक्तिगत विकास ही नहीं, बल्कि समाज और राष्ट्र के उत्थान के लिए भी प्रेरित करती है।

नैतिक शिक्षा क्यों अपनाएं?

  • जीवन को सही दिशा में ले जाने के लिए।
  • अपने और अपने बच्चों के भविष्य को उज्जवल बनाने के लिए।
  • एक सशक्त, शांतिपूर्ण और नैतिक समाज का निर्माण करने के लिए।

“नैतिक शिक्षा (व्यक्तिगत विकास का आधार)” पुस्तक में इन सभी पहलुओं को सरल और रोचक ढंग से प्रस्तुत किया गया है। इसे पढ़कर आप स्वयं भी प्रेरित होंगे और दूसरों को भी प्रेरणा देंगे।

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विषय सूची

1. नैतिकता का अर्थ और महत्व

2.नैतिक शिक्षा के स्रोत

3.नैतिक मूल्यों का परिचय और उनका महत्व

    • सत्य (Truth)
    • अहिंसा (Non-violence)
    • करुणा और प्रेम (Compassion and Love)
    • निष्कपटता (Honesty)
    • अनुशासन (Discipline)
    • संयम (Self-control)
    • संतोष (Contentment)
    • सेवा भाव (Selfless Service)
    • त्याग (Sacrifice)
    • क्षमा (Forgiveness)
    • विनम्रता (Humility)
    • धैर्य (Patience)
    • परोपकार (Charity/Helping Others)
    • आत्म-नियंत्रण (Self-restraint)
    • न्याय (Justice)
    • सहनशीलता (Tolerance)
    • दृढ़ता (Perseverance)
    • कृतज्ञता (Gratitude)
    • नम्रता (Politeness)
    • समय-पालन (Punctuality)
    • आत्म-निर्भरता (Self-reliance)
    • स्वाभिमान (Self-respect)
    • श्रद्धा (Faith)
    • उदारता (Generosity)
    • सुंदरता (Beauty)
    • दान
    • यज्ञ (Yagya)
    • तप (Tapasya)
    • सफलता (Success)
    • ब्रह्मचर्य (Celibacy)
    • विवेक (Discretion)
    • धर्म (Dram)
    • कर्म (Karm)
    • सत्संग (Satsang) और स्वाध्याय (Self-study)
    • ध्यान (Meditation) और आत्म-चिंतन (Self-reflection)
    • ज्ञान और विज्ञान
    • वाणी (Speech)
    • आचरण
    • चरित्र और मर्यादा
    • संकल्प

4.नैतिक मूल्यों का जीवन पर प्रभाव

5.रामायण की नैतिक शिक्षाएं

    • श्री राम का सत्य और वचन पालन
    • सीता की करुणा एवं दया
    • लक्ष्मण की निष्ठा, मर्यादा और कर्तव्यपरायणता
    • भरत का त्याग और आदर्श नेतृत्व
    • कैकयी स्वार्थ और लालच का प्रतीक
    • हनुमान की वीरता, भक्ति और सेवा
    • विभीषण की धर्मनिष्ठा
    • सुग्रीव की मित्रता और नेतृत्व
    • जटायू का त्याग और वीरता
    • रावण का पतन और धर्म की विजय
    • श्री राम का आदर्श नेतृत्व: धर्म के लिए समर्पण
    • श्री राम का करुणा और प्रेम: शबरी और जटायू के प्रति सम्मान
    • श्री राम का साहस और धैर्य
    • श्री राम का अनुशासन और उसका महत्व
  1. महाभारत से नैतिक शिक्षाएँ
    • भीष्म पितामह: त्याग और निष्ठा के अमर प्रतीक
    • अर्जुन: कर्तव्य, समर्पण, और धर्म का प्रतीक
    • द्रौपदी: नारी शक्ति और आत्मसम्मान की प्रतीक
    • विदुर: धर्म, न्याय, और नीति का आदर्श
    • दुर्योधन: अहंकार और अधर्म का प्रतीक
    • धृतराष्ट्र: अंध मोह और कर्तव्य की उपेक्षा का प्रतीक
    • श्री कृष्ण: धर्म, नीति के आदर्श
    • कुंती: त्याग, धैर्य और मातृत्व का प्रतीक
    • कर्ण: अभिमान, दानशीलता और त्रासदी का प्रतीक
  1. भगवद गीता की नैतिक शिक्षाएँ: अध्याय बार आधुनिक संदर्भ 
    • अध्याय 1: अर्जुन विषाद योग (आध्यात्मिक भ्रम और नैतिक संघर्ष)
    • अध्याय 2: सांख्य योग (ज्ञान और कर्म का संतुलन)
    • अध्याय 3: कर्म योग (कर्तव्य का महत्व)
    • अध्याय 4: ज्ञान कर्म संन्यास योग (ज्ञान और कर्म का मेल)
    • अध्याय 5: कर्म संन्यास योग (त्याग और कर्म का संतुलन)
    • अध्याय 6: ध्यान योग (मन का अनुशासन)
    • अध्याय 7: ज्ञान विज्ञान योग (परमात्मा का ज्ञान)
    • अध्याय 8: अक्षर ब्रह्म योग (मृत्यु और जीवन का रहस्य)
    • अध्याय 9: राजविद्या राजगुह्य योग (भक्ति का रहस्य)
    • अध्याय 10: विभूति योग (ईश्वर की महिमा)
    • अध्याय 11: विश्वरूप दर्शन योग (ईश्वर का दिव्य रूप)
    • अध्याय 12: भक्ति योग (भक्ति का महत्व)
    • अध्याय 13: क्षेत्र और क्षेत्रज्ञ योग (शरीर और आत्मा का ज्ञान)
    • अध्याय 14: गुणत्रय विभाग योग (तीन गुणों का ज्ञान)
    • अध्याय 15: पुरुषोत्तम योग (परम पुरुष का ज्ञान)
    • अध्याय 16: दैवासुर संपद विभाग योग (दैवी और आसुरी गुण)
    • अध्याय 17: श्रद्धात्रय विभाग योग (श्रद्धा के प्रकार)
    • अध्याय 18: मोक्ष संन्यास योग (मोक्ष का अंतिम मार्ग)
    • निष्कर्ष: भगवद गीता की समग्र शिक्षा
  1. एकादशोपनिषद के नैतिक शिक्षाएं
    • ईशोपनिषद: ब्रह्मांड की एकता और संतुलन
    • केन उपनिषद: आत्मा, ज्ञान, और भक्ति का महत्व
    • कठोपनिषद: मृत्यु, आत्मा, और जीवन का रहस्य
    • छांदोग्य उपनिषद: शिक्षा, ध्यान, और आत्मा का मार्ग
    • बृहदारण्यक उपनिषद: आत्मा की स्वतंत्रता और ब्रह्म का ज्ञान
    • मुंडक उपनिषद: सच्चे और झूठे ज्ञान का भेद
    • तैत्तिरीय उपनिषद: सत्य, आनंद, और नैतिकता का मार्ग
    • मांडूक्य उपनिषद: ओम और आत्मा का स्वरूप
    • श्वेताश्वतर उपनिषद: ईश्वर, भक्ति, और कर्म का महत्व
    • ऐतरेय उपनिषद: सृष्टि, आत्मा, और जीवन का रहस्य
    • प्रश्नोपनिषद: ब्रह्मांड, प्राण, और जीवन के छह प्रश्न
  1. नैतिक मूल्यों को दैनिक जीवन में अपनाने के उपाय
  2. नैतिक शिक्षा और आधुनिक युग की चुनौतियाँ
  3. नैतिक शिक्षा का भविष्य और हमारी भूमिका
  4. नैतिक मूल्यों की वैश्विक प्रासंगिकता
  5. विद्यार्थियों के लिए नैतिक शिक्षा
  6. शिक्षा का वास्तविक उद्देश्य
  7. आदर्श दैनिक दिनचर्या
  8. उपसंहार
  9. वैदिक शास्त्रों के प्रामाणिक स्रोत
Weight 1 kg
Dimensions 16 × 16 × 16 cm

2 reviews for Naitik Shiksha (Vyaktigat Vikaas Ka Aadhaar) Paperback Book (Hard Copy)

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  1. Very important and valuable book for every sanatani house 🏠

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  2. One of the best book for naitik shiksha with practical applications. many many thanks to the writer for this initiative it was must needed in current situation

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