हमारे शास्त्रों के अनुसार जीवन में “पहला सुख निरोगी काया, दूसरा सुख है घर में माया, तीसरा सुख है कुलवंती नारी ,चौथा सुख सूत आज्ञाकारी “| सुख चाहे जितने प्रकार के हो अगर उन का उपभोग करने हेतु शरीर ही स्वस्थ ना हो तो ऐसे सुख का क्या लाभ|
ऋषि चरक कहते है :- “सर्वमन्यत परित्यज्य शरीरमनु पालयेत” अर्थात मनुष्य को सभी बातों को छोड़ सर्वप्रथम अपने स्वास्थ्य की ओर ध्यान देना चाहिए |हमारा शरीर ही सभी प्रकार के कर्त्तव्य पालन का एक साधन है अतः इसे क्रियाशील रखने हेतु स्वस्थ रखना अतिआवश्यक है |
बीमारी का मूल कारण
प्रकृति ने हम सभी को बनाया हमारे अस्वस्थ होने का मूल कारण अप्राकृतिक रहन सहन है हमारा शरीर स्वास्थ्य के नियमों का उलंघन होने पर हमें अनेक रूपों तरीको से हमें सचेत करती है अगर हम उससे सचेत हो अपने दिनचर्या को सुधार लेते है तो हमारा शरीर स्वस्थ रहता है अन्यथा हमारा शरीर अस्वथ हो जाता है जिसमे भिन्न भिन्न प्रकार की बीमारिया हो जाती है शरीर रोगग्रस्त हो जाता है,शरीर के रोगी होने के पीछे हमारा अनियमित खान पान,शराब व् अन्य नशीली चीजों का इस्तेमाल ,श्रम से दूर रहना व्यायाम कसरत ना करना आदि दैनिक क्रियाए है |
गाय का घी खाने के लाभ
स्वस्थ रहने के दैनिक नियम
अगर हम अपने दैनिक दिनचर्या में थोड़ा सुधार कर नियमो का पालन करे तो हम अपने शरीर को निरोगी बना सकते है |आइए जानने का प्रयत्न करते है, वे नियम कौन से है
१. सर्वप्रथम हमें प्रातः ब्रह्ममुहृत(प्रातः ३ से ६बजे का समय ) में उठाना प्रारम्भ करना होगा |
२. उसके पश्चात दैनिक शौच क्रिया से शरीर को स्वच्छ कर खाली पेट जल ग्रहण करना चाहिए |
३. तत्पश्चात हमें आधा /एक घंटा दैनिक व्यायाम ,कसरत, शुबह की सैर आदि करना चाहिए |
४.सुबह की व्यायाम के पश्चात हमें स्नान कर स्वच्छ होकर ईश्वर स्तुति ,स्वाध्याय करना चाहिए |
५. सुबह हमारा नास्ता ८ बजे तक हो जाना चाहिए |
६. दोपहर का भोजन १२-१ बजे के बीच हो जाना चाहिए |
७. रात्रि का भोजन ७-८ बजे के बीच हो जाना चाहिए |
८. हमें खाने के तुरंत बाद नहीं सोना चाहिए थोड़ी देर टहलकर लगभग रात १० बजे तक सो जाना चाहिए |
९. जहाँ तक हो सके हमें तला भुना नहीं खाना चाहिए |
धन्यवाद
It’s amazing